शनिवार, 25 अगस्त 2007

सरस्वती वन्दना

हे माँ वीनावादिनी वर दो, वरण करूं सच्चाई सदा।
दिल को इतना प्रेम से भर दो, जग में करूं अच्छाई सदा।।

झूठ, अधर्म, अत्याचारों से, विरत उम्र भर रह पाऊं।
सत्य, अहिंसा, भक्ति के, पथ का मैं राही बन जाऊं।।

हो अच्छा, बुरा, मित्र या शत्रू, बांटू सबको ज्ञान सदा।
अपने बल और बुद्धि पर ना, हो मुझको अभिमान कदा।।

हो सच्चा, अटल, आचरण मेरा, डिगे नही ईमान कदा।
मात-पिता ओर गुरूओं का मैं, किया करू सम्मान सदा।

दया, धर्म, और प्रेम सदा, जीवन में मेरे साथ रहें।
दीन, दुखी, दुर्बल लोगों के, रक्षक मेरे हाथ रहें।।
मेरी आँखो में समरसता, और दया का वास रहे।
रहे लबों पे नाम तेरा और, मन को तेरी प्यास रहे।।

हे माँ वीनावादिनी वर दो …